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'ख़ुसरौ' 'निजाम' के बल-बल जइएमोहे सुहागन कीन्हीं रे मोसे नैनाँ मिलाय के
काहे को ब्याहे बिदेसअरे लखिया बाबुल मोरे काहे को ब्याहे बिदेस
तोरी सूरत के बलिहारी निजामतोरी सूरत के बलिहारी
बन बोलन लागे मोरआ घिर आई दई मारी घटा कारी बन बोलन लागे मोर
मोरे पिया घर आएऐ री सखी मोरे पिया घर आए
दय्या री मोहे भिजोया रीशाह-निजाम के रंग में
जब यार देखा नैन भर दिल की गई चिंता उतरऐसा नहीं कोई अजब राखे उसे समझाए कर
सकल बन फूल रही सरसोंबन बन फूल रही सरसों
मोरा जोबना नवेलरा भयो है गुलालकैसे घर दीन्हीं बकस मोरी माल
बहुत दिन बीते पिया को देखेबहुत दिन बीते पिया को देखे
जो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँजो मैं जानती बिसरत हैं सैय्याँ घुँघटा में आग लगा देती
बहुत रही बाबुल घर दुल्हन चल तेरे पी ने बुलाईबहुत खेल खेली सखियन सो अंत करी लरिकाई
मोहे अपने ही रंग में रंग दे रंगीलेतो तू साहेब मेरा महबूब-ए-इलाही
पर्बत बाँस मँगवा मोरे बाबुल नीके मंडवा छिवाव रेडोलिया फँदाय पिया लै चली हैं अब संग नहिं कोई आव रे
बन के पंछी भए बावरे ऐसी बीन बजाई सँवारेतार तार की तान निराली झूम रही सब वन की डारी
बहुत कठिन है डगर पनघट कीकैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
घर नारी गँवारी चाहे जो कहेमैं निजाम से नैनाँ लगा आई रे
आज बथावा साजन के घर ऐ मैं वारी रैवारी वारी जाऊँ अपने पिया के ऐ मैं वारी रै
हज़रत-ख़्वाजा संग खेलिए धमालबाईस ख़्वाजा मिल बन बन आयो
परदेसी बालम धन अकेली मेरा बिदेसी घर आव नाबेर का दुख बहुत कठिन है प्रीतम अब आ जाव ना
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
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